किशनगंज ज़िले मे तस्कर माफियाओं पर पुलिस क्यों हैं नाकाम….

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Desk : बिहार में तस्करी शब्द अब आम हो चूका है, प्रशासन की भी मौन दृश्य इस बात की पोख्ता सबूत है की बिहार में एक बार फिर से माफियाओं का राज शुरु हो चूका है।

बिहार का सीमांचल क्षेत्र जहाँ पर तस्करों को पुलिस ने खुले छुट दे रखी है वही बिहार के किशनगंज के बारे मे बता दें की बिहार का अंतिम छोर है ये और यहाँ से पश्चिम बंगाल की सीमा शुरू हो जाती है और इसी राश्ते नार्थ ईस्ट के बहुत सारे राज्यों मे भी जाने का रास्ता आसान हो जाता है।

तस्करी का जहाँ नाम आता है वहाँ इस ज़िले का नाम पहले जाना जाता है क्यूंकि यहाँ इंट्री माफिया बहुत रहते हैँ इंट्री का काम यहाँ जमाने से चला आ रहा है सिर्फ यहाँ माफियाओ का चेहरा बदल जाता है जो की गिट्टी, बालू, छाई, मवेशी, लौंग, इलायची , सुपाड़ी मवेशी साथ ही बहुत सारा सामान है जो इस ज़िले से होकर बिहार मे जाता है या बिहार से बाहर बंगाल मे जाता हैजितने ट्रक यहाँ से गुजरते हैँ उनको इंट्री माफियायों द्वारा मोटी रकम ले के सुरक्षित किशनगंज ज़िले से पार कराया जाता है।

जिसमे आजकल चर्चा का विषय बने हुए हैँ दो इंट्री माफिया तबरेज़ जो की मूल रूप से पूर्णिया ज़िले के ज़ीरो माइल का रहने वाला है मगर फिलहाल किशनगंज के हलीम चौक मे किराया का घर ले के अपने किशनगंज के साथी अजय राय के साथ कुछ अधिकारीयों के मिलीभगत से तस्करी का काम खूब जोरों पर कर रहा है मिली जानकारी के अनुसार बताया जा रहा है की गिट्टी बालू मावेशी सहित बहुत प्रकार के आईटम के ट्रकों से मोटी रकम ले के इंट्री का खेला जोरो पर किया जा रहा हैगौरतलब है की बिना किसी के सहयोग से ये काम किया नहीं जा रहा होगा जाहिर सी बात है की जिला प्रशासन के नाक के निचे ऐसा इंट्री का खेला हो रहा हो और प्रशासन को भनक तक ना हो जिला प्रशासन पर ये सवाल खड़ा होता है की इनता बड़ा खेल आखिर हो कैसे रहा है क्या इसमें प्रशासन की भी मिलीभगत है या इस बारे में जानकारी होते हुए भी पुलिस कुछ कर नहीं सकती आखिर कोई कार्यवाई अब तक क्यों नहीं हुई…

एक बड़ा सवाल ये है की जिला प्रशासन के लिए की किशनगंज की पुलिस कब नींद से जागती है और इंट्री माफियाओ पर नकेल कसती है या फिर आँख बंद कर के नाक के निचे तस्करी का बड़ा खेल होने देती है..

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