फिर मंत्री चंद्रशेखर ने दिया बयान कहा राम और रामचरितमानस दोनों में जमीन आसमान का है अंतर……

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Patna : बिहार के शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर यादव ने रामचरितमानस को नफरत फैलाने वाला ग्रंथ करार दिया था. जिसके बाद से पूरे देश में बवाल मच गया है. बिहार के शिक्षा मंत्री ने बुधवार को नालंदा ओपन यूनिवर्सिटी में छात्रों के दीक्षांत समारोह के अवसर पर हिंदू धर्म ग्रंथों को जमकर कोसा था. इस विवादित बयान को लेकर मचे बवाल के बाद अब फिर एक बार उनका बयान सामने आया है.

जी हां इस पर उन्होंने ट्वीट के माध्यम से कहा कि मैं उस रामचरितमानस का विरोध करता हूं. जो यह कहता है कि जाति विशेष को छोड़कर बाकी सभी नीच है जो हमें शूद्र और नारियों को ढोलक की समान पीट-पीटकर साधने की शिक्षा प्रदान करता है. जो हमें गुणविहीन विप्र की पूजा करने एवं गुणवान दलित, शुद्र को नीच समझ दुत्कारने की शिक्षा देता है.

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शिक्षा मंत्री ने आगे लिखा है कि राम व रामचरितमानस दोनों में जमीन आसमान का फर्क है. मैं उस श्रीराम की पूजा करता हूं जो माता शबरी के जूठे बेर खाते हैं जो मां अहिल्या के मुक्तिदाता है.जो जीवन भर नाविक केवट के ऋणी रहते हैं. जिनकी सेना में हाशिये के समूह से आने वाले वन्य प्राणी वर्ग सर्वोच्च स्थान पर रहते हैं.

साथ ही उन्होंने कहा कि राम शबरी के जूठे बेर खाकर सामाजिक ताने-बाने को मजबूत करते हैं. अब आप बताइए और सोचिए इतने उदारवादी और समाजवादी राम अचानक श्री रामचरितमानस में आपको शूद्रों को ढोलक की तरह पीटकर साधने की बात क्यों करने लग जाते हैं. इस फर्जी पुस्तक से किसे फायदा पहुंच रहा है. सवाल तो करना होगा ना. मंत्री चंद्रशेखर ने आगे कहा कि माता शबरी के झूठे बेर खाने वाले राम अचानक रामचरितमानस में आते ही इतनी जातिवादी कैसे हो जाते हैं. किसके फायदे के लिए राम के कंधे पर बंदूक रखकर ठेकेदार चला रहे हैं. यही ठेकेदार हैं जो एक राष्ट्रपति को जगन्नाथ मंदिर खुलने से रोकते. बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी जी के मंदिर जाने पर मंदिर धोया करते हैं.

मेरा यह बयान बहुतजनों के हित में है, और मैं उस पर अडिग रहूंगा. ग्रंथ की आड़ में गहरी साजिश से देश में जातीयता व नफरत का बीज बोने वाले बाबू के हत्यारों के प्रतिक्रिया की परवाह नहीं करता. वे इस कटु सत्य को भी विवादित बयान समझते हैं तो यह उनकी अपनी समझ हो सकती है.

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