जीतन राम माँझी का सियासी सफ़र।

(43 साल के राजनीतिक सफ़र में 8 बार पाला बदला,1 बार मुख्यमंत्री की भूमिका भी निभायी।)
DESK:बिहार हमेशा से राजनीति को लेकर सुर्ख़ियो में रहा है। ऐसा देखा गया है कि बिहार में अगर किसी मुद्दे को लेकर सबसे ज़्यादा वाद विवाद होता है तो वो राजनीति है। इन ही राजनीतिक बातों के बीच आज हम बात करने जा रहे है हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा के भारतीय राजनेता और बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम माँझी के सियासी सफ़र के बारे में।
जीतन राम माँझी के सियासी सफ़र को 43 साल पूरे हो चुके है। सियासी करीयर की बात करे तो हम बात करेंगे की उन्होंने अपने करीयर की शुरुआत कोंग्रेस पार्टी से की थी। साल 1980 में पहली बार उन्होंने फ़तेहपुर (गया) से विधानसभा सीट से चुनाव जीता था और वे विधानसभा पहुँचे थे। इसके बाद 1983 में उन्हें चंद्रशेखर सिंह की सरकार के द्वारा राज्यमंत्री बनाया गया था।
महज़ दो वर्ष बाद साल 1985 में उनका राजनीतिक सफ़र ऊँचाई पर पहुँचा था। इस साल वे फिर से विधानसभा चुनाव जीतने में कामयाब रहे थे। वर्ष 1990 तक वे कई अन्य मुख्यमंत्रियो के मंत्रिमंडल के सदस्य भी रहे थे। इसी साल के विधानसभा चुनाव में वे बुरी तरह पराजित हो गए थे। और आश्चर्य की बात यह है की जिस पार्टी से उन्होंने चुनाव हारा था वे उसी पार्टी के सदस्य बन गए। वो जनता दल पार्टी से हारकर उसके ही सदस्य बन गए।
6 साल के अंतराल के बाद वे 1996 में बाराचट्टी सीट से उपचुनाव में विधायक चुने गए। इसके बाद जब साल 2005 में नीतीश कुमार बिहार के नए मुख्यमंत्री बने तो इन्होंने जदयू का दामन थाम लिया। 9 साल तक वे जदयू के सदस्य रहे इसके बाद नीतीश कुमार के साथ मनमुटाव के बाद वे जदयू से अलग हुए थे।
साल 2015 में उन्होंने हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा का निर्माण किया और पार्टी के बनते ही उन्होंने भाजपा से हाथ मिलाया और दोनो पार्टियों ने साथ मिलकर विधानसभा चुनाव लड़ा था। 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले माँझी NDA गठबंधन से अलग होकर राजद- कोंग्रेस के गठबंधन में शामिल हुए थे। 2020 के विधानसभा चुनाव में माँझी नीतीश कुमार के साथ पहले NDA में थे, फिर उन्ही के साथ महागठबंधन में चले गए।
बिहार के इतिहास में 1 बार मुख्यमंत्री भी रह चुके है।
जीतन राम माँझी बिहार के मुख्यमंत्री भी रह चुके है। उनके मुख्यमंत्री होने के कार्यकाल का अवधि 20 मई 2014 से लेकर 20 फ़रवरी 2015 तक था।