पटना लिटरेरी फेस्टिवल में सजी महफिल, शायरी के माहौल में आनंदित हुए श्रोता…

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Patna: एक तरफ मंच पर देश के ख्यातिलब्ध पत्रकार और लेखक आलोक श्रीवास्तव और दूसरी तरफ उनको तल्लीन होकर सुनते श्रोता। अब ऐसे रूमानी माहौल में श्रोता आनंदित नहीं होंगे तो कब होंगे। मौका था एडवांटेज सपोर्ट की तरफ से आयोजित किये जाने वाले लिटरेरी फेस्टिवल का। जिसकी अगली कड़ी में बुधवार को हिंदी दिवस के मौके पर राजधानी के भारतीय नृत्य कला मंदिर में रूबरू कार्यक्रम का आयोजन किया गया। आयोजन में देश के प्रख्यात गीतकार, लेखक, पत्रकार और ग़ज़लकार आलोक श्रीवास्तव ने हिस्सा लिया और जानी मानी कवयित्री और लेखक प्रेरणा प्रताप ने उनसे कई छुये-अनछुये पहलुओं पर बातें की।

कार्यक्रम में आलोक श्रीवास्तव की कविता संग्रह अमीन और कहानी संग्रह आफरीन व उद्योग विभाग में विशेष सचिव दिलीप कुमार की पुस्तक अप्प दीपो भव का विमोचन भी किया गया। साथ ही राजभाषा विभाग के अध्यक्ष और बिहार गान के रचयिता सत्य नारायण प्रसाद को सम्मानित भी किया गया। इससे पहले आमंत्रित अतिथियों ने दीप प्रज्ज्वलित कर के आयोजन का विधिवत उद्घाटन किया। आयोजन में एडवांटेज पटना लिटरेरी फेस्टिवल के नए लोगो को भी लांच किया गया। इसकी खासियत यह है कि लोगो को विशेष रूप से दुबई में बनवाया गया है।

कार्यक्रम में स्वागत संबोधन देते हुए पटना लिटरेरी फेस्टिवल के प्रेसिडेंट डॉक्टर एए हई ने कहा कि पटना में ऐसे आयोजनों का ट्रेडीशन रहा है। ऐसे बड़े बड़े आयोजन यहां होते रहे हैं। हालांकि कुछ दिनों में हालात कुछ ऐसे हुए कि यह सिलसिला टूट सा गया लेकिन एडवांटेज पीएलएफ ने इसे जोड़ने की कोशिश की। उन्होंने यह भी बताया कि कोरोना के मुश्किल दौर में ऑनलाइन तरीके से इसे आयोजित करने का सिलसिला जारी रखा। डॉक्टर हई ने यह भी कहा कि ऐसे आयोजनों की तहजीब रही है। उन्होंने एडवांटेज पीएलएफ के इस आयोजन को शुक्रिया अदा करते हुए कहा कि मुझे उम्मीद है कि यह सिलसिला जारी रहेगा।

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इसी आयोजन में बिहार गान के रचयिता कबीर छात्राओं को सम्मानित भी किया गया। अपनी बातों को रखते हुए कवि सत्यनारायण ने कहा कि आपने जो स्नेह, अपनापन दिया है, उसे मैं सिर झुका कर कबूल करता हूं। उन्होंने एक शेर अर्ज करते हुए कहा कि नए पुराने शहरों में भी रहकर देखा, अपने घर का बिस्तर सबसे अच्छा लगता है। उन्होंने कहा कि आत्मीयता को मैं और हमेशा संजोकर रखूंगा।

कार्यक्रम में चीफ गेस्ट के रूप में हिस्सा लेते हुए उद्योग विभाग के मंत्री समीर कुमार महासेठ ने कहा कि 14 सितंबर की तारीख को इस आयोजन के लिए चुना गया है, यह बात मैं समझ सकता हूं। हमारा राज्य और देश गंगा जमुनी तहजीब पर चल रहा है। आर्ट एंड कल्चर के क्षेत्र में बिहार सबसे अलग है। भले ही यह आयोजन छोटे स्तर पर हो रहा है लेकिन पूरे देश में इस आयोजन के माध्यम से बड़ा संदेश जाएगा।

उन्होंने यह भी कहा कि खुर्शीद अहमद ने लोगों को बनाने, जोड़ने का काम किया है। मैं पिछले 30 सालों से उनको जान रहा हूं। इन्होंने बिहार का नाम आगे बढ़ाया है। कई बड़े कार्य खुर्शीद अहमद ने किए हैं। समीर कुमार महासेठ ने यह भी कहा कि आर्ट व कल्चर का समागम होना चाहिए। एक रणनीति इसके लिए होनी चाहिए। मैं यहां मंत्री की हैसियत से नहीं बल्कि परिवार के नाते आया हूं। आर्ट वर्क कल्चर तथा इससे जुड़े हुए लोगों को स्थापित करने का वक्त आ गया है।

कार्यक्रम में कई बातों का आलोक श्रीवास्तव में बखूबी जवाब दिया। कार्यक्रम का संचालन कर रही प्रेरणा प्रताप ने जब उनसे यह सवाल किया कि आज के वक्त में बतौर लेखक वह हिंदी को कहां पाते हैं? आलोक श्रीवास्तव में बड़ी ही साफगोई से कहा कि हिंदुस्तान बहुत ही खूबसूरत है। इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि इस ऑडिटोरियम में हिंदी के तलबगार डॉक्टर एए हई और खुर्शीद अहमद जैसे लोग बैठे हुए हैं और इसके बारे में मैं आलोक श्रीवास्तव बता रहा हूं। ऑडिटोरियम को देखकर ही अंदाजा लगाया जा सकता है। उनका यह भी कहना था कि यह पाटलिपुत्र है। यहां दिनकर, रेणु, शाद अजीमाबादी रोशन फेहरिस्त रही है। उन्होंने एडवांटेज पटना लिटरेरी फेस्टिवल का शुक्रगुजार करते हुए कहा कि हिंदी का गौरव और सम्मान तब तक कायम रहेगा, जब तक डॉक्टर एए व खुर्शीद अहमद जैसे लोग यहां पर रहेंगे।

आलोक श्रीवास्तव ने इसके अलावा कई और सवालों का जवाब आलोक श्रीवास्तव ने बहुत ही दिलकश और अनोखे अंदाज में लोगों के सामने रखा। इस मौके पर पीएलएफ की मेंबर फरहत हसन, फरहा खान, चंद्रकांता खान, फहीम अहमद, फैजान अहमद, एजाज हुसैन के अलावा अन्य गणमान्य लोगों में एमएलए शकील अहमद खान, समाजसेवी चंद्र शेखर, डॉक्टर रवि शंकर, केके सिन्हा के अलावा कई अन्य लोग उपस्थित थे।

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