मंत्री की नाराज़गी झामुमो सरकार पर पड़ सकती है भारी

Jharkhand Politics : झारखंड की सियासत फिर से गर्मायी हुई दिखाई दे रही है। झारखंड के स्वास्थ्य एवं आपदा प्रबंधन मंत्री बन्ना गुप्ता सरकार के लिए मुसीबत का सबब बन सकते हैं। हाल ही में गिरिडीह के पारसनाथ में हुए कांग्रेस के चिंतन शिविर में उन्होंने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को निशाने पर लिया था। इससे राजनीतिक गलियारे में भीतर ही भीतर सुगबुगाहट बढ़ रही है। बन्ना गुप्ता लगातार सक्रिय हैं और वे उन नीतिगत मुद्दों पर सरकार को घेरकर खुद बाहर का रास्ता अपना सकते हैं, जिसपर झारखंड में पक्ष-विपक्ष के बीच घमासान मचा है। स्थानीयता के लिए 1932 के खतियान को आधार बनाने और भाषा के मुद्दे पर बन्ना गुप्ता की राय एकदम अलग है, जिसपर वे समर्थकों के बीच मुखर हैं।

इस बात की भी अटकलें हैं कि इन मुद्दों को आधार बनाकर बन्ना गुप्ता झारखंड सरकार के खिलाफ ही मोर्चाबंदी कर सकते हैं। फिलहाल उनके तेवर से कांग्रेस में हड़कंप मचा हुआ है। यह भी बताया जाता है कि बन्ना गुप्ता को आधा दर्जन से ज्यादा कांग्रेस विधायकों का समर्थन है। बन्ना गुप्ता ने अगर कोई ठोस निर्णय किया तो ये विधायक उनका साथ देने को आगे आएंगे। वे समर्थक विधायकों का दायरा बढ़ाने के लिए भी लगातार संपर्क कर रहे हैं।

बन्ना गुप्ता पूर्व में मंत्री पद से इस्तीफे की पेशकश कर चुके हैं। तब उनकी आपत्ति स्वास्थ्य विभाग में हस्तक्षेप पर थी। वाकया कोरोना संक्रमण काल का है। बताते हैं कि उन्होंने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन द्वारा मेडिकल आक्सीजन की गाड़ियों और एंबुलेंस के उद्घाटन पर आपत्ति जताते हुए इस्तीफा भेजा था। इस्तीफे की प्रति झारखंड प्रदेश कांग्रेस के तत्कालीन प्रभारी आरपीएन सिंह को भी दी गई थी। आरपीएन सिंह ने तत्काल सुलह कराया। मुख्यमंत्री आवास में बैठक के बाद मामला शांत हुआ। इसकी जानकारी कांग्रेस के अन्य वरीय नेताओं को भी है। तब बन्ना गुप्ता का तर्क था कि सबकुछ मुख्यमंत्री ही करेंगे तो मैं किसलिए मंत्री बना हूं? ऐसा नहीं चलेगा।