गठिया के इलाज के लिए हर महीने लग रहा विशेष क्लिनिक, दिल्ली से फिर 13 जनवरी को आएंगे गठिया रोग विशेषज्ञ- डॉ. आशीष सिंह….

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Patna: गठिया एक ऐसी आम बीमारी है जो बड़ी संख्या में लोगों को परेशान करती है। गठिया का शुरू में इलाज करना बहुत जरूरी होता है और अगर ध्यान नहीं दिया जाए तो यह धीरे-धीरे पूरे शरीर पर असर डाल सकता है। यह बातें रूमेटोलॉजिस्ट डॉ राजीव रंजन कुमार ने अनूप इंस्टीट्यूट आफ ऑर्थोपेडिक्स एंड रिहैबिलिटेशन, पीसी कॉलनी, कंकड़बाग पटना में आयोजित विशेष क्लिनिक में हिस्सा लेने के बाद कही। इसका आयोजन विशेष रूप से प्रसिद्ध हड्डी रोग विशेषज्ञ और एआईओआर के मेडिकल निदेशक आशीष कुमार सिंह के द्वारा किया गया। इस विशेष क्लिनिक का उद्देश्य गठिया से परेशान लोगों को विभिन्न प्रकार की परेशानियों से निजात दिलाने के लिए किया गया। सबसे बड़ी बात कि इस तरह का ये विशेष क्लिनिक हर महीने अनूप इंस्टीट्यूट आफ ऑर्थोपेडिक्स एंड रिहैबिलिटेशन, पीसी कॉलनी, कंकड़बाग पटना में आयोजित किया जाएगा। जनवरी 13 को फिर इस क्लिनिक का आयोजन होगा, जिसमें रुमेटोलॉजिस्ट डॉक्टर राजीव रंजन कुमार गठिया से परेशान लोगों की जांच करेंगे और उचित इलाज की जाएगी। ये बातें डॉक्टर आशीष सिंह ने बताई।

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वहीं डॉक्टर राजीव रंजन कुमार ने बताया कि गठिया एक लक्षण है। जैसे बुखार एक लक्षण होता है। बुखार के कई कारण होते हैं। जैसे मलेरिया, टाइफाइड। तो ऐसे ही सौ से भी ज्यादा बीमारियां जो गठिया करवाती है। इसका सबसे प्रमुख जो कारण है उसे ऑटो इम्यून डिजीज कहते हैं। हमारे शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता होती है वह हमारे शरीर के ऑर्गन को नुकसान पहुंचाते हैं कई ऑटो डिजीज ज्वाइंड को डैमेज करते हैं और गठिया करवाते हैं। गठिया एक लक्षण है यह कई सारी बीमारियों से होता है और कुछ बीमारियां खतरनाक होती है। इसके लक्षण को जल्दी पहचान कर इलाज कराना जरूरी होता है नहीं तो धीरे-धीरे पूरे शरीर में फैलने लगता है और काफी सारे ऑर्गन को डैमेज करने लगता है।

डॉक्टर राजीव रंजन ने बताया कि बिहार में गठिया के मरीज ज्यादा है। जहां तक गठिया होने की बात है तो मोटापा, स्मोकिंग, वायरल इनफेक्शन, पोलूशन भी कारण है। जहां तक गठिया से बचने की बात है तो बहुत ज्यादा चीनी या नमक का सेवन, जंक फूड, तैलीय और वसा युक्त भोजन यह सब गठिया के लिए रिस्क फैक्टर माने जाते हैं। यह धीरे-धीरे अर्थराइटिस को क्रिएट कर देते हैं। इसके अलावा अगर किसी को बार-बार इंफेक्शन हो रहा है तो यह भी गठिया का कारण हो सकता है। अगर इससे बचना है तो हेल्दी डायट, रेगुलर एक्सरसाइज, जीवन शैली में बदलाव और मोटापे को कम करना होगा जिससे इंफेक्शन कम हो। गठिया किसी भी उम्र में हो सकता है। कुछ अर्थराइटिस बच्चों में कॉमन है तो कुछ युवाओं में तो कुछ बुजुर्गों में। ओस्टियोआर्थराइटिस को हम लोग बुढ़ापे की गठिया कहते हैं। जैसे-जैसे उम्र बढ़ती है तो जोड़ों में लचीलापन कम होने लगता है, ये टूटने लगते हैं।

ऑटोइम्यून डिजीज और इन्फ्लेमेशन से संबंधित गठिया बच्चों में होते हैं। युवाओं में आजकल काफी ज्यादा गठिया देखा जा रहा है। गठिया के होने की पहचान के बारे में डॉक्टर राजीव रंजन कुमार ने बताया कि शरीर के हर जोड़ों में दर्द होना, सुबह उठने के बाद जकड़न, दर्द अनुभव हो और यह आधे घंटे से ज्यादा रह रहा है तो उसे नजरअंदाज न करें। 40 साल पहले तक गठिया के इलाज के लिए बेहतर दवाइयां नहीं उपलब्ध थी लेकिन अब इतनी सारी दवाइयां आ गई हैं जिससे बेहतर इलाज हो सकता है। अगर ऑटोइम्यून डिजीज के कारण गठिया हो रहा है तो यह जड़ से खत्म नहीं होगा लेकिन इसे बेहतर तरीके से कंट्रोल किया जा सकता है और नॉर्मल और हेल्दी लाइफ जिया जा सकता है। बच्चों में भी गठिया देखा जा रहा है। जिसे जुवेनाइल इडियोपेथिक अर्थराइटिस कहते हैं। ज्ञात हो कि अनूप इंस्टिट्यूट ऑफ़ अर्थराइटिस एंड रिहैबिलिटेशन, पीसी कॉलोनी, कंकड़बाग पटना के मेडिकल डायरेक्टर डॉ आशीष कुमार सिंह ने गठिया के इलाज के लिए विशेष पहल की है। इसके तहत रूमेटोलॉजिस्ट डॉक्टर राजीव रंजन कुमार हर महीने दिल्ली से विशेष रूप से आकर पटना में विशेष क्लीनिक में गठिया से परेशान लोगों का इलाज करेंगे। वैसे मरीज जो गठिया से ग्रसित हैं, वह इस विशेष क्लिनिक में आकर उचित सलाह ले सकते हैं।

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