धीरेन्द्र शास्त्री के बिहार आने के फायदे और नुकसान!

Desk : बागेश्वर धाम के पीठाधीश्व पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री 5 दिनों तक बिहार के नौबतपुर के तरेत पाली मठ में हनुमंत कथा सुना रहे थे. इस कार्यक्रम ने बिहार को बहुत कुछ दिखा दिया.
सबसे पहले तो बिहार में यह दिखा कि किसी धार्मिक कार्यक्रम में इतनी अधिक भीड़ उमर सकती है. क्योंकि बिहार की जनता ने तमाम नेताओं की रैली, बड़े-बड़े पार्टियों की सभाएं देखी, प्रधानमंत्री की सभा देखी,, मुख्यमंत्री की सभा देखी, लेकिन इतनी भीड़ पहली बार किसी धर्म के प्रचारक को देखने के लिए मिली. जितना अनुमान था उससे दोगुनी संख्या में लोग नौबतपुर पहुंच रहे थे. कार्यक्रम सफल भी हुआ और पंडित धीरेंद्र शास्त्री बिहार से खुश होकर गए लेकिन पंडित धीरेंद्र शास्त्री के बिहार आने से लेकर जाने तक क्या फायदे और नुकसान हुए हैं, वह हम आपको बताएंगे… किसे राजनीतिक फायदा हुआ औऱ किसे नुकसान यह हम आपको इस वीडियो में बताते हैं.
पंडित धीरेंद्र शास्त्री के बिहार आने से पहले राजद कोटे से मंत्री तेज प्रताप यादव का बयान सामने अता हैं तेज प्रताप यादव खुली चुनौती देते हैं.सबसे पहले उनका कहना होता है कि अगर पंडित धीरेंद्र शास्त्री बिहार आकर हिंदू-मुस्लिम करेंगे. तो हम उनको एयरपोर्ट पर ही रोक देंगे. उसके बाद बिहार की राजनीति गर्म हो जाती हैं. फिर राजद के प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह का बयान सामने आता है. जगदानंद सिंह कहते हैं कि ऐसे बाबाओं को जेल में रहना चाहिए.और फिर जाप सुप्रीमो पप्पू यादव का बयान सामने आता है. पप्पू यादव ने ऐसे शब्दों का इस्तेमाल किया जिसका हम जिक्र भी नहीं कर सकते. पप्पू यादव ने तो धीरेंद्र शास्त्री को बलात्कारी तक बता दिया और उसके बाद धीरे-धीरे बिहार की राजनीति तेज होने लगी और फिर भाजपा की एंट्री होती हैं.
इसके बाद वार पलटवार का दौर शुरू हो जाता है. भाजपा के कई नेता राजद के ऊपर हिंदुत्व का विरोध करने का आरोप लगाते हैं. भाजपा के केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह तमाम लोगों पर हमलावर होते हैं और उसके बाद पंडित धीरेंद्र शास्त्री का पटना के गांधी मैदान में होने वाले कार्यक्रम को रद्द कर दिया जाता है. फिर यह कार्यक्रम पटना से सटे नौबतपुर के तरेत पाली मठ में होता. लेकिन मामला यहीं नहीं रुका, बल्कि मामला और तूल पकड़ लिया. अब तेज प्रताप यादव अपनी सेना तैयार करते हैं. दरसल 2018 में DSS बना था जो अब पूरी तरीके से विलुप्त हो चुका था. तेज प्रताप यादव धीरेंद्र शास्त्री का विरोध करने के लिए उसको फिर से जिंदा करते हैं और कहा यह जाता है कि तेज प्रताप यादव यह सब कुछ लालू प्रसाद यादव के इशारे पर कर रहे थे. ताकि राजनीतिक नुकसान इन्हें ना हो.
अब राजनीतिक नुकसान कैसे होगा वह भी हम आपको बताते हैं.धीरेंद्र शास्त्री अगर बिहार आएंगे तो हिंदुत्व की बात करेंगे और राजद के पास मुस्लिम वोट बैंक है. तो उस मुस्लिम वोट बैंक को बचाने के लिए वीरेंद्र शास्त्री का विरोध करना पड़ेगा. फिर तेज प्रताप यादव धीरेंद्र शास्त्री का विरोध करते हैं और अब हिंदुत्व का झंडा उठाने वाली भाजपा तेज प्रताप यादव का विरोध करती है. फिर बजरंग दल सामने आ जाता है स्वर्ण सेना तैयार हो जाती है.और तमाम तरह की जो हिंदू संगठन है. वह सड़क पर आ जाते हैं. और तेज प्रताप यादव का विरोध करते हैं. साथ ही साथ बहुत सारे ऐसे संगठन आते हैं. जो धीरेंद्र शास्त्री का भी विरोध करते हैं
इन तमाम विरोध के बीच 13 तारीख को धीरेंद्र शास्त्री की एंट्री बिहार में होती है और उसके बाद नेताओं का ताता लग जाता है. धीरेंद्र शास्त्री से मिलने के लिए पटना के होटल पनास में बाबा का ठिकाना होता है. और देर रात वहां पर मंत्री विधायक और बड़े-बड़े बिजनेसमैन का आना जाना लगा रहता है. सुबह में बाबा नौबतपुर में हनुमंत कथा कहते थे तो रात को देर रात vvip दरबार लगाते थे. इन तमाम चीजों के बीच एंट्री होती है तेजस्वी यादव की. जी हां बिहार के उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव की. धीरेंद्र शास्त्री के तरफ से इनको निमंत्रण भिजवाया जाता है कि आप भी कार्यक्रम में शामिल हो. तेजस्वी के साथ-साथ नीतीश कुमार को भी न्योता भिजवाया जाता है. उस वक्त तो उनका जवाब नहीं आता है. लेकिन अगले दिन तेजस्वी यादव का जवाब आता है कि ऐसे ऐसे बाबाओं का बहुत सारा निमंत्रण पत्र हमारे पास पड़ा हुआ है. लेकिन हम और मुख्यमंत्री विकास के काम में लगे हुए. उसके बाद बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का भी जवाब आ जाता है. नीतीश कुमार कहते हैं कि यह लोग कौन है बताइए देश का नाम बदलने में लगे हैं. देश जब आजाद हुआ था. किन-किन लोगों ने अपनी शहादत दी थी यह सब लोग भूल जाते.हैं और कुछ लोग आ जाते हैं.कहीं कहीं से और कहते हैं कि हम देश का नाम ही बदल देंगे देश में तमाम धर्मों के लोग रहते हैं और उनका भी उतना ही अधिकार है. जितना और धर्मों के लोगों का.
इसके बाद 17 तारीख को पंडित धीरेंद्र शास्त्री का कार्यक्रम खत्म होता है. लेकिन जाते-जाते पंडित धीरेंद्र शास्त्री यह कह जाते हैं कि बिहार में फिर से आऊंगा यह मेरा पहला और आखरी नहीं है. यह मेरा पहला है और आखरी कब होगा यह मैं नहीं बताऊंगा. लेकिन मैं बिहार फिर से आऊंगा बिहारियों का जिस तरीके से प्यार मुझे मिला. विरोध को मैं भूल चुका हूं. जिन लोगों ने भी विरोध किया वह अलग है.. लेकिन इतना प्यार मुझे मिला है. वह मैं कभी नहीं भूल पाऊंगा और वाकई में पंडित धीरेंद्र शास्त्री के कार्यक्रम में 10 लाख से अधिक लोग पहुंचते हैं. इस कार्यक्रम को सफल बनाते हैं. सबसे बड़ी बात यह रहती है कि कार्यक्रम में महज 3 लाख लोग जुड़ेंगे इस बात की सूचना रहती है. लेकिन जैसे ही कार्यक्रम शुरू होता है. 10 लाख से अधिक लोग आ जाते हैं और उसके बाद पंडित धीरेंद्र शास्त्री को कहना पड़ता है कि आप अपने घर पर बैठकर मुझे देख लीजिए
इन तमाम चीजों के बीच राजनीतिक फायदा किसे हुआ वह भी सुन लीजिए राजनीतिक फायदा भाजपा को हुआ और राजनीतिक नुकसान हुआ जो भाजपा से कट कट रहे थे. भाजपा की तरफ से धीरेंद्र शास्त्री का विरोध लालू प्रसाद यादव ने भी कर दिया. लालू प्रसाद यादव ने कह दिया कि ऐसे बाबाओं को तो हम पहचानते भी नहीं है. कौन है यह लोग. इनको हटाइए यहां से हिंदू वोटर जो है. वह हमसे नाराज हो गए. मुसलमान वोट से क्योंकि मुसलमान को अभी लगने लगा कि वाकई में राजद हमारी पार्टी है और हिंदुओं को यह लगने लगा कि वाकई में भाजपा हमारी पार्टी है. क्योंकि जितनें दिन कार्यक्रम चला. उतने दिन तक भाजपा के तमाम नेता धीरेन्द्र शास्त्री के इर्द-गिर्द घूमते नजर आए.
वह पल आप कैसे भूल सकते हैं जब मनोज तिवारी पंडित धीरेंद्र शास्त्री के सारथी बन जाते हैं और पटना एयरपोर्ट से होटल और होटल से नौबतपुर गाड़ी ड्राइव करके बाबा को नौबतपुर पहुंचाते हैं. इन तमाम चीजों को लेकर बिहार की राजनीति काफी तेज हुई. लगभग 5 दिनों तक बिहार की राजनीति में सिर्फ और सिर्फ धीरेंद्र शास्त्री ही घूमते रहे.